(मैं अरिहंतों को नमन करता हूँ।)
(मैं सिद्धों को नमन करता हूँ।)
(मैं आचार्यों को नमन करता हूँ।)
(मैं उपाध्यायों को नमन करता हूँ।)
(मैं समस्त साधुओं को नमन करता हूँ।)
एसो पंच णमोक्कारो सव्व पावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं।।
यह पृष्ठ मेरे पिता की स्मृति में जैन धर्म को समर्पित है।
जैन धर्म अहिंसा,
सत्य और तपस्या पर जोर देता है।
हम प्राचीन जैन मंत्रों पर शोध कर रहे हैं।
🙏जय जिनेंद्र।🙏
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